1960 के दशक में हमारे देश में खाद्यान्न का एक बहुत बड़ा संकट आया। देश में खाने के लिए अन्न की भारी कमी हुई । उस समय इस समस्या से लड़ने के लिए देश के किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रेरित किया गया।
हरित क्रान्ति के नाम पर किसानों को जोर दिया गया कि वे इस दौर में शंकर बीजों, रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाओ का इस्तेमाल करें l इस सबसे अन्न का उत्पादन बढ़ा और भारत अन्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया। लेकिन आज इस नई व विकसित समझी जाने वाली खेती के दुष्परिणाम सामने आ रह हैं । वैज्ञानिकों के अनुसंधानों से पता चला है कि इस खेती से जहां एक ओर किसानों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया, वहीं दूसरी ओर इस तरह से उपजाय अन्न से पर्यावरण व मानव शरीर पर बुरा असर पड़ा है। आज इन रासायनिक खादों व कीटनाशको के खिलाफ विश्व व्यापक बहस छिड़ गयी है। आज अमेरिका में 11 प्रतिशत Growth Rate से Organic farming (जैविक खेती) बढ़ रही है
किसान भाईयों, जैसा कि आप जानते हैं कि आज पूरा विश्व एक खुला बाजार बन चुका है और कोई भी देश अपना सामान दूसरे देश में बेच सकता है। अब देखना यह है कि पहले किसकी फसलें जैविक व शुद्ध पैदा होंगी क्योंकि आज से 5 साल बाद विकसित देश पूरी तरह से जैविक खेती पर आ जायेंगे और उनका गेहूं व चावल मार्केट (बाजार) में मिलना शूरु हो जायेगा।
चूंकि विकसित देश अपने किसानों को भारी सब्सिडि देते हैं, इसलिए इनकी फसलों का दाम भी ज्यादा नहीं होगा। अब आप सोचकर देखिये कि अगर मार्केट में एक दूकान पर दो अनाज रखे हैं, एक पर लिखा है जहर रहित गेहूं और दूसरे पर लिखा है जहर सहित गेहू । कौन सा गेहू लोग खरीदेंगे ? निःसंदेह लोग कीमत ज्यादा देकर भी जहर रहित गेहूं खरीदेगे
किसान भाईयों, इस बार हम थोड़े विकसित देशों से भाग्यशाली रहे हैं क्योंकि हमारी जमीनें विकसित देशों की जमीनों से थोड़ी कम जहरीली है। क्योंकि हमने रासायनिक खादों का इस्तेमाल इनके बाद शुरू किया था। इसलिए हमारे खेत प्रयास करने पर इनसे जल्दी Organic यानि जैविक खेत हो सकते हैं। इसलिए यह सही मौका व सही वक्त है, अपने खेतों को जैविक बनाने का, जो इस समय पर काम कर जायेंगे वो बहुत सारा पैसा कमा पायेंगे व अपने खेतों को, अपनी मिट्टी को बंजर होने से भी बचा पायेंगे । नहीं तो आपको वो दोहा याद होगा –
हम आपसे ये चाहते हैं कि आप अपने खेतों को विकसित देशों से पहले जैविक करें ताकि आप जैविक फसलें पैदा कर सके। अगर हमारी ऊपज उत्तम होगी तो हमारे अनाज की मांग देश में ही नहीं, विदेशों में भी होगी। जिससे हमारी ज्यादातर जनसंख्या समृद्ध बन सकेगी और हम विकासशील देश से विकसित देशों की श्रेणी में आ जायंगे।
अमेरिका, आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों ने जैविक खेती के लिए जागरूकता लाने के लिए विश्व स्तर पर प्रयास शुरु कर दिये हैं। इसलिए अगर आप विश्व स्तर पर होने वाले बदलावो में खुद को साथ रखना चाहते हैं तो आपको भी जैविक खेती अपनानी होगी।
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